गुफ़ाओं की तरफ़
कहते हैं कि यदि
अनबन
दो आदमियों के बीच मिटाना हो तो
उन्हें एक साथ रख दो
वे दोस्त हो जाए
सभ्यता की यही प्रक्रिया थी जिसमें आदमी इंसान बनना आरम्भ हुआ हम स्कूल गये
बाज़ार गये
दफ़्तर गये
अब सब ऑनलाइन हो रहा है।
आदमियों के बीच
बात मशीनें करेंगी
मशीनों का सम्बन्ध होगा
आदमी अकेला छटपटाएगा
उसके नाखून बढ़ते रहेंगे
क्या हम गुफ़ाओं की तरफ लौट रहे हैं
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