टमाटर की खेती करके लाखो रुपये कैसे कमाये।

 टमाटर एक ऐसी फसल है, जो हर मौसम में या 12 महीनों में उगाए जाने वाली फसल में से एक है।

टमाटर के पौधे कब तैयार किये जाते है।

नर्सरी- दिसंबर - जनवरी 

बोने का समय

फरवरी - मार्च 1st सप्ताह में इसकी बुवाई कर दे।

Varities

Middle - पूसा गौरव, पूसा शीतल, सालेना गोला, V.1. टमाटर, आजाद बाटी- 2, विकास, पंत टी -2

Hybrid varieties

सुगन्धित सबसे अच्छे स्वाद वाले अंगूर टमाटरों में से एक है जिसे आप उगा सकते हैं। यदि आपको सुगन्धित बीज नहीं मिल रहे हैं, तो फाइव स्टार ग्रेप और शुगर रश भी बहुत स्वादिष्ट हैं, और जूलियट आपकी क्लासिक, तीखी और मीठी अंगूर टमाटर की किस्म है। वेलेंटाइन और लाल मशाल भी बेहतरीन विकल्प हैं।


मिट्टी-
टमाटर की फसल के लिए काली दोमट मिट्टी, रेतीली दोमट मिट्टी और लाल दोमट मिट्टी में अच्छी और आसानी से खेती की जाती है। वैसे टमाटर की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे उत्तम मानी जाती है। इसकी अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का पीएच मान 7 से 8.5 होना चाहिए।

भारत में टमाटर की सबसे ज्यादा पैदावार देने वाली किस्म- अर्का रक्षक
भारत में टमाटर की खेती करने वाले किसानों के बीच टमाटर की अर्का रक्षक किस्म काफी लोकप्रिय हो रही है। इसकी वजह ये हैं कि एक तरफ तो इस किस्म से बंपर पैदावार मिलती है वहीं दूसरी ओर इसमें टमाटर में लगने वाले प्रमुख रोगों से लडऩे की क्षमता अन्य किस्मों से अधिक है।

एक एकड़ में होती है 500 क्विंटल से अधिक की पैदावार / टमाटर की उत्पादन तकनीक

डॉ सदाशिव के अनुसार टमाटर की इस किस्म में अन्य किस्मों की तुलना में कम लागत आती है। जबकि मुनाफा जबदस्त होता है। इसकी फसल 160 दिन में तैयार हो जाती है। पैदावार के मामले में यह टमाटर की अन्य किस्मों की तुलना में अधिक उत्पादन देने वाली है। इससे प्रति हेक्टेयर 185 टन का उत्पादन लिया जा सकता है। वहीं प्रति एकड़ 50 टन का उत्पादन होता है। प्रति क्विंटल के हिसाब से उत्पादन देखें तो एक एकड़ में टमाटर की बुवाई करने पर 500 - 550 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है।

टमाटर की बुवाई का सही समय

जनवरी में टमाटर के पौधे की रोपाई के लिए किसान नवंबर माह के अंत में टमाटर की नर्सरी तैयार कर सकते हैं। पौधों की रोपाई जनवरी के दूसरे सप्ताह में करना चाहिए।


यदि आप सितंबर में इसकी रोपाई करना चाहते हैं तो इसकी नर्सरी जुलाई के अंत में तैयार करें। पौधे की बुवाई अगस्त के अंत या सितंबर के पहले सप्ताह में करें।

टमाटर की खेती का तरीका

खेत को 3-4 बार जोतकर अच्छी तरह तैयार कर लें। पहली जुताई जुलाई माह में मिट्टी पलटने वाले हल अथवा देशी हल से करें। खेत की जुताई के बाद समतल करके 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से सड़ी गोबर की खाद को समान रूप से खेत में बिखेरकर पुन: अच्छी जुताई कर ले।

खाद एवं उर्वरक

किसी कारण से अगर मिट्टी का जांच संभव न हो तो उस स्थिति में प्रति हेक्टेयर नेत्रजन-100 किलोग्राम, स्फूर-80 किलोग्राम तथा पोटाश-60 किलोग्राम कि दर से डालना चाहिए। एक-तिहाई नेत्रजन, स्फूर और पोटाश की पूरी मात्रा का मिश्रण बनाकर, प्रतिरोपण से पूर्व मिट्टी में बिखेर कर अच्छी तरह मिला देना चाहिए। शेष नेत्रजन को दो बराबर भागों में बांटकर, प्रतिरोपण के 25 से 30 और 45 से 50 दिन बाद उपरिवेशन (टॉपड्रेसिंग) के रूप में डालकर मिट्टी में मिला देनी चाहिए। जब फूल और फल आने शुरू हो जाए, उस स्थिति में 0.4-0.5 प्रतिशत यूरिया के घोल का छिडक़ाव करना चाहिए। लेकिन सांद्रता पर काफी ध्यान देना चाहिए। अधिक सान्द्र होने पर छिडक़ाव से फसलों की पूरी बर्बादी होने की संभावना रहती है। वहीं हल्की संरचना वाली मृदाओं में फसल के फल फटने की संभावनाएं


पाला व लू से टमाटर की फसल की सुरक्षा

टमाटर की पौध के प्रतिरोपण के तुरंत बाद सिंचाई अवश्य करनी चाहिए। इसके बाद 15-20 दिनों के अंतराल में सिंचाई की जा सकती है। टमाटर की फसल को जाड़े में पाला व गर्मी में लू से बचाना बेहद जरूरी होता है। लू से बचने के लिए 12 - 15 दिन में सिचाई कर देनी चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण

 वहीं रोपण के 4-5 दिन बाद स्टाम्प 1.0 किलोग्राम प्रति हैक्टर की दर से इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे ऊपज पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता है।

 वहीं रोपण के 4-5 दिन बाद स्टाम्प 1.0 किलोग्राम प्रति हैक्टर की दर से इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे ऊपज पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता है।

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