कटहल

परिचय

कटहल एक बहुवर्षिय वृक्ष है, पेड़ से प्राप्त होने वाली फल सबसे बड़ा फल मन जाता है। इसके फल सब्जियों के रूप में प्रयोग किया जाता है। भारत मे इसकी खेती पूर्वी और पश्चिम इलाको में कई जाती है।

[8:48 PM, 11/25/2022] abhishekroy: कटहल के पेड़ के नीचे काली मिर्च, अदरक, इलाइची की खेती की जाती है

 खेती के लिए मिट्टी

कटहल की खेती के लिए सभी प्रकार की मिट्टी में हो जाती है, दोमट मिट्टी में इसकी खेती अच्छी मानी गयी। 

कटहल की खेती के लिए भूमि के पीएच मान 4.8-6.8 होना चाहिए।

कटहल की खेती के लिए माध्यम - अधिक वर्षा एवं गर्म जलवायु वाले भागो में उपज अच्छी होती है।

 पौधा प्रसारण

कटहल मुख्य रूप से बीज द्वारा उगया जाता है, कटहल का पौधा तैयार करने के लिए वैज्ञानिक तरीके से किया जाता है।

कटहल की खेती के लिए सिंचाई प्रक्रिया 

कटहल की खेती के लिए पौधे को सिंचाई की बेहद आवश्यकता पड़ती है, बुवाई की शुरुआत से ही इसके पौधों को पानी देना जरूरी है, विशेषज्ञों के अनुसार गर्मी और सर्दी के मौसम में हर 15 दिन के अन्तराल पर इस पौधे को पानी की आवश्यकता पड़ती है.

कटहल के फलों को विकास के साथ कई प्रकार से उपयोग में लाया जाता है. जो छोटे छोटे फल होते है, जिसे सब्जी के लिए प्रयोग किया जाता है, उस समय तोड़ना चाहिए जब उसके डंठल का रंग गहरा हरा, गूदा कठोर और कोर मलायम हो. इसके अलावा अगर आप कटहल के पके फलों का सेवन करना चाहते हैं तो इसे फल लगने के तकरीबन 100-120 दिनों बाद तोड़ना चाहिए. बता दें कि अगर कटहल की खेती बड़े स्तर पर की जाए तो किसान आराम से सालाना 8 से 10 लाख तक मुनाफा हासिल कर सकते हैं.

 खाद व उर्वरक

प्रत्येक पौधे को 20 - 25 kg गोबर की खाद, 100 ग्राम यूरिया, 200 ग्राम, SSP तथा 100 ग्रा. म्यूरेट ऑफ़ पोटाश प्रति वर्ष की दर से जुलाई माह में देना चाहिए। तत्पश्चात पौधे की बढ़वार के साथ खाद की मात्रा में वृद्धि करते रहना चाहिए।

 किट रोग एवं नियंत्रण

कटहल के तने में छेद बनाकर नुकसान पहुंचाने का काम करते है, पेट्रोल या किरोसिन तेल के चार-पाँच बूंद रुई में डालकर गीली चिकनी मिट्टी से बंद कर दें। इस प्रकार वाष्पीकृत गंध के प्रभाव से पिल्लू मर जातें हैं एवं तने में बने छिद्र धीरे-धीरे भर जाते है।

 गुलाबी धब्बा

इस रोग में पत्तियों को निचली सतह पर गुलाबी रंग का धब्बा बन जाता है जिससे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है और फल विकास सुचारू रूप से नहीं हो पाता। और कटहल के फल फफूंद नाशी जैसे कापर रोग लग जाते है।

फल सड़न रोग

यह रोग राइजोपस आर्टोकार्पी नामक फफूंद के कारण होता है जिसमें नवजात फल डंठल के पास से धीरे-धीरे सड़ने लगते हैं। कभी-कभी विकसित फल को भी सड़ते हुए देखा गया है। इसके के बाद लक्षण स्पष्ट होते ही ब्लू कॉपर के 0.3: घोल का दो छिड़काव 15-20 दिनों के अंतराल पर करें।


A to Z किसी भी प्रकार के फसल में फल फूल बढ़ाने के लिए प्रयोग किये जाते है।


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