टूर्नामेंट

 

युद्ध और पृथ्वी की पारिस्थितिकीय बर्बादी के खतरों के घुमड़ते काले बादलों के बावजूद यह तरक्की ज़रूर थी कि अब

धरा का राज

जनता के नाम पर होता था गोया जनता ही अब ईश्वर या राजा हो जो.

पहले राज करते थे।

सत्ता का सिंहासन या प्रतिद्वन्द्वी

सदा जनता की दुहाई देते थे गोया जनता ईश्वर की तरह उनके दिल में बसी हो और वे केवल अपने कंठ से उसी के स्वर निकालते हों

ये हाथी के दिखाने के दाँत थे

सत्ता करती मनमानी थी

जैसे वह स्वयंभू और स्वायत्त हो और प्रतिद्वन्द्वी के साथ कोई ताकत का शाश्वत खेल चल रहा हो कभी फ्रन्ट फुट पर कभी बैक फुट पर

इस खेल की बॉल जनता थी जो पिट-पिटकर पुरानी होती थी मगर बदल नहीं सकती थी

खेल में बार-बार जनता की दुहाई देते थे जैसे उसी के नाम का टूर्नामेण्ट हो जबकि खिलाड़ी ही कर्ता-धर्ता थे और जनता आँखों में आँसू भरे ताली बजाती थी

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