पृथ्वी की हवा & उल्टा पाठ

 पृथ्वी की हवा

दर्शन की धुँधली गलियों में कुछ सैर के बाद हम जहाँ पहुँचे वहाँ सन्नाटा था-

जैसे मैं यम की आत्मा - ब्रह्म के चकव्यूह से भाग निकला पोलिश कवि हेरबेर्त चर्च के ऑल्टर

के अँधेरे से घबरा गया

हम ख़ाली मैदान में हाँफते मिले जैसे यही मुक्ति हो

हम अभी भी हाँफ़ रहे हैं जैसे पृथ्वी की हवा तंग हो


उल्टा पाठ

आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसाँ होना

हमें बचपन से बताया गया कि आदमी ईश्वर का रूप है

वयस्क होकर जाना कि आदमी दरअसल बन्दर का प्रतिरूप है।

पाठ उल्टा हो गया

ईश्वर से बन्दर तक उतरने से बेहतर होता यदि हम शुरू से जानते कि हमें बन्दर से ईश्वर की ओर बढ़ना है

यानी बन्दर से इंसान की ओर जो ईश्वर रूप है

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