एक फटी धोती और फटी कमीज पहने एक व्यक्ति अपनी 13-15 साल की बेटी के साथ एक बड़े होटल में पहुंचा। उन दोंनो को कुर्सी पर बैठा देख एक वेटर ने उनके सामने दो गिलास ठंडे पानी का साफ गिलास रख दिया और फिर पूछा- आपके लिए क्या लाना है?
उस व्यक्ति ने कहा- "मैंने अपनी बेटी को वादा किया था कि यदि तुम कक्षा दस में जिले में प्रथम आओगी तो मैं तुम्हे शहर के सबसे बड़े होटल में एक डोसा खिलाऊंगा।
इसने वादा पूरा कर दिया। इसके लिए एक डोसा ले आओ।
वेटर ने पूछा- "आपके लिए क्या लाना है?" उसने कहा- मेरे पास एक ही डोसे का पैसा है। पूरी बात सुनकर वेटर मालिक के पास गया और पूरी कहानी बता कर कहा- मैं इन दोनो को भर पेट नास्ता कराना चाहता हूँ। अभी मेरे पास पैसे नहीं है, इसलिए इनके बिल की रकम आप मेरी सैलेरी से काट लेना। उसके बाद होटल के मालिक ने उससे कहा - आज हम होटल की तरफ से ही इस होनहार बेटी की सफलता की पार्टी देंगे।
होटल वालों ने एक टेबल को अच्छी तरह से सजाया और बहुत ही शानदार ढंग से सभी उपस्थित ग्राहको के साथ उस गरीब बच्ची की सफलता का जश्न मनाया। होटल के मालिक ने उन्हे एक बड़े थैले में तीन डोसे और पूरे मोहल्ले में बांटने के लिए मिठाई उपहार स्वरूप पैक करके दे दी। बेटी के पापा इतना सम्मान पाकर आंखों में खुशी के आंसू लिए वे अपने घर चले गए।
समय बीतता गया और एक दिन वही लड़की सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास कर उसी शहर में तहसीलदार बनकर आई। उसने सबसे पहले उसी होटल मे एक सिपाही भेज कर कहलाया कि कलेक्टर साहिबा नास्ता करने आयेंगी। होटल मालिक ने तुरन्त एक टेबल को अच्छी तरह से सजा दिया। यह खबर सुनते ही पूरा होटल ग्राहकों से भर गया। और देखते ही देखते होटल पूरी तरह से भर गया होटल में ग्राहकों की भीड़ हो गई।
वही लड़की कलेक्टर थी जो दसवी की परीक्षा पास करके होटल वाली न उस बच्ची को पार्टी दिया था, फिर लड़की होटल में मुस्कराती हुई अपने माता-पिता के साथ पहुंची। सभी उसके सम्मान में खड़े हो गए। होटल के मालिक ने उन्हे गुलदस्ता भेंट किया और आर्डर के लिए निवेदन किया। उस लड़की ने खड़े होकर होटल मालिक और उस बेटर के आगे नतमस्तक होकर कहा- शायद आप दोनों ने मुझे पहचाना नहीं। मैं वही लड़की हूँ जिसके पिता के पास दूसरा डोसा लेने के पैसे नहीं थे और आप दोनों ने मानवता की सच्ची मिसाल पेश करते हुए, मेरे पास होने की खुशी में एक शानदार पार्टी दी थी और मेरे पूरे मोहल्ले के लिए भी मिठाई पैक करके आप लोगो ने दिया था।
आज यह पार्टी मेरी तरफ से है और उपस्थित सभी ग्राहकों एवं पूरे होटल स्टाफ का बिल मैं दूंगी। कल आप दोनों को श्रेष्ठ नागरिक का सम्मान एक नागरिक मंच पर किया जायेगा। ये सब देखने के बाद आज भी ये पता चलता है की इसानियत भी होती है। ये एक कहानी ही नही एक कहानी के रूप में सिख भी है।
शिक्षा- किसी भी गरीब की गरीबी का मजाक बनाने के वजाय उसकी प्रतिभा का उचित सम्मान करें।
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