कभी-कभी रिश्तों की डोर में, जिंदगी ऐसे उलझ जाती है कि, रिश्तों के छोर को साधने के लिए, भाई पिता और बहन मां बन जाती है!
अधूरी कहां थी जिंदगी जो हो गयी, बस कुछ दूरियों से अधूरी हो जाती है, चाहते तो है सब कुछ मिल जाए पर, अंतत: चाहत ही बेचारी खो हो जाती है!
वक्त के साथ आने वाली ढेरों खुशियां, बेमन के अधखुले द्वार में सिमट जाती है, रिश्तों के छोर को साधने के लिए, भाई पिता और बहन मां बन जाती है !
महान काम करने का एक ही secret है, जो काम आप करते है उससे प्यार होना चाहिए । अगर अब तक इसे नहीं ढूंढ पाए हैं तो ढूंढते रहें उससे पहले settle न हों।
writer abhishek......
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