रामू और मोहम्मद
एक खेत में मजदूरी कर रहे थे गर्मियों के दिन थे, धूप कड़ी थी दोनों ने अपनी कमीजें उतारकर रख दी थीं जब कोई फ़ोन बजा, मोहम्मद दौड़ा- रामू उसे मोबाइल पर बतियाते देखता रहाईर्ष्या से
जब मोहम्मद फ़ारिग होने एक तरफ़ गया रामू उसकी कमीज़ की तरफ़ गया- उसने मोबाइल उठाकर अपनी जेब में रख लिया
कुछ देर बाद मोबाइल फिर बजा मोहम्मद की जेब खाली थी उसने रामू की जेब की ओर देखा :
मोबाइल झपट लिया और एक झापड़ दिया
रामू खेत से लगे गाँव में गया उसने लोगों से कहा कि एक कटुए ने उसे मारा चालीस लोग खेत की ओर दौड़ पड़े- मोहम्मद उनके पैरों की फुटबाल हो गया
जब अस्पताल में उसकी जान निकली तो कहीं खून नहीं निकला था मौत ख़ामोश थी सिर्फ उसकी जेब में मोबाइल बोल रहा था :

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